पितृ कवच मंत्र: सर्वपितृ अमावस्या पर करें यह पाठ, मिलेगा वंश वृद्धि और धन लाभ का वरदान
हिंदू मान्यताओं में पितृ पक्ष एक ऐसा काल है जब हम अपने दादा-परदादा जैसे पूर्वजों को याद करते हैं। वे इस समय धरती पर पधारते हैं, श्राद्ध भोजन ग्रहण करते हैं और हमें कल्याण की कामना देते हैं। इसी समय पितृ कवच का पाठ करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। अगर पितृ पक्ष में अवसर न मिले तो सर्वपितृ अमावस्या के दिन अवश्य करें। यह कवच पितरों को खुश करता है और जीवन में समृद्धि लाता है। आइए जानें इसके फायदों और पाठ विधि के बारे में।
पितृ पक्ष और पितृ कवच का महत्व
पितृ पक्ष वह अवधि है जब पूर्वजों की आत्माएं विशेष रूप से सक्रिय रहती हैं। वे अपने वंशजों के किए कार्यों से संतुष्ट होकर आशीष प्रदान करती हैं। पितृ कवच का जाप इस पक्ष में शुभ फलदायी होता है। यह न केवल पितरों को प्रसन्न करता है बल्कि पितृ दोष जैसी समस्याओं को भी दूर भगाता है। यदि कोई व्यक्ति पितृ दोष से ग्रस्त है तो उसे नियमित रूप से इस कवच का पाठ करना चाहिए। सर्वपितृ अमावस्या पर यह पाठ विशेष रूप से प्रभावी माना जाता है।
पितृ कवच का पूरा पाठ
पितृ कवच का पाठ शुद्ध उच्चारण से करें। नीचे दिया गया पूरा मंत्र वैदिक रूप में है:
कृणुष्व पाजः प्रसितिम् न पृथ्वीम् याही राजेव अमवान् इभेन।
तृष्वीम् अनु प्रसितिम् द्रूणानो अस्ता असि विध्य रक्षसः तपिष्ठैः॥
तव भ्रमासऽ आशुया पतन्त्यनु स्पृश धृषता शोशुचानः।
तपूंष्यग्ने जुह्वा पतंगान् सन्दितो विसृज विष्व-गुल्काः॥
प्रति स्पशो विसृज तूर्णितमो भवा पायु-र्विशोऽ अस्या अदब्धः।
यो ना दूरेऽ अघशंसो योऽ अन्त्यग्ने माकिष्टे व्यथिरा दधर्षीत्॥
उदग्ने तिष्ठ प्रत्या-तनुष्व न्यमित्रान् ऽओषतात् तिग्महेते।
यो नोऽ अरातिम् समिधान चक्रे नीचा तं धक्ष्यत सं न शुष्कम्॥
ऊर्ध्वो भव प्रति विध्याधि अस्मत् आविः कृणुष्व दैव्यान्यग्ने।
अव स्थिरा तनुहि यातु-जूनाम् जामिम् अजामिम् प्रमृणीहि शत्रून्।
अग्नेष्ट्वा तेजसा सादयामि॥
पितृ कवच पाठ के लाभ
इस कवच का नियमित जाप कई तरह के पुण्य प्रदान करता है। मुख्य लाभ इस प्रकार हैं:
पितृ कवच न केवल धार्मिक कर्तव्य है बल्कि जीवन में स्थिरता लाने वाला साधन भी है। इसे अपनाकर आप पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं और उनके आशीर्वाद से समृद्ध होते हैं। इस अमावस्या पर अवश्य करें।
पितृ पक्ष और पितृ कवच का महत्व
पितृ पक्ष वह अवधि है जब पूर्वजों की आत्माएं विशेष रूप से सक्रिय रहती हैं। वे अपने वंशजों के किए कार्यों से संतुष्ट होकर आशीष प्रदान करती हैं। पितृ कवच का जाप इस पक्ष में शुभ फलदायी होता है। यह न केवल पितरों को प्रसन्न करता है बल्कि पितृ दोष जैसी समस्याओं को भी दूर भगाता है। यदि कोई व्यक्ति पितृ दोष से ग्रस्त है तो उसे नियमित रूप से इस कवच का पाठ करना चाहिए। सर्वपितृ अमावस्या पर यह पाठ विशेष रूप से प्रभावी माना जाता है।
पितृ कवच का पूरा पाठ
पितृ कवच का पाठ शुद्ध उच्चारण से करें। नीचे दिया गया पूरा मंत्र वैदिक रूप में है:
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कृणुष्व पाजः प्रसितिम् न पृथ्वीम् याही राजेव अमवान् इभेन।
तृष्वीम् अनु प्रसितिम् द्रूणानो अस्ता असि विध्य रक्षसः तपिष्ठैः॥
तव भ्रमासऽ आशुया पतन्त्यनु स्पृश धृषता शोशुचानः।
तपूंष्यग्ने जुह्वा पतंगान् सन्दितो विसृज विष्व-गुल्काः॥
प्रति स्पशो विसृज तूर्णितमो भवा पायु-र्विशोऽ अस्या अदब्धः।
यो ना दूरेऽ अघशंसो योऽ अन्त्यग्ने माकिष्टे व्यथिरा दधर्षीत्॥
उदग्ने तिष्ठ प्रत्या-तनुष्व न्यमित्रान् ऽओषतात् तिग्महेते।
यो नोऽ अरातिम् समिधान चक्रे नीचा तं धक्ष्यत सं न शुष्कम्॥
ऊर्ध्वो भव प्रति विध्याधि अस्मत् आविः कृणुष्व दैव्यान्यग्ने।
अव स्थिरा तनुहि यातु-जूनाम् जामिम् अजामिम् प्रमृणीहि शत्रून्।
अग्नेष्ट्वा तेजसा सादयामि॥
पितृ कवच पाठ के लाभ
इस कवच का नियमित जाप कई तरह के पुण्य प्रदान करता है। मुख्य लाभ इस प्रकार हैं:
- पितरों की प्रसन्नता: पूर्वज संतुष्ट होकर वंशजों को आशीर्वाद देते हैं।
- वंश वृद्धि: परिवार में संतान प्राप्ति और वंश का विस्तार होता है।
- धन लाभ: आर्थिक समृद्धि और धन की प्राप्ति आसान हो जाती है।
- पितृ दोष निवारण: यदि कुंडली में पितृ दोष हो तो यह उसे समाप्त कर देता है।
- कुल कल्याण: समस्त परिवार को सुख-शांति और सुरक्षा का वरदान मिलता है।
- सर्वपितृ अमावस्या पर पाठ करने से ये फल दोगुने हो जाते हैं।
पितरों को समर्पित यह पाठ जीवन बदलेगा
पितृ कवच न केवल धार्मिक कर्तव्य है बल्कि जीवन में स्थिरता लाने वाला साधन भी है। इसे अपनाकर आप पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं और उनके आशीर्वाद से समृद्ध होते हैं। इस अमावस्या पर अवश्य करें।









