शनिवार को करें शनि देव की आरती, पाएं न्याय, सुख और समृद्धि का वरदान

शनि देव की यह आरती भक्तों के कष्टों को कम करने और न्याय प्रदान करने में सहायक है। सूर्य देव के पुत्र शनि को श्याम वर्ण और वक्र दृष्टि वाले रूप में पूजा जाता है, जो सच्चे भक्तों का हित करते हैं। शनि देव हिंदू ज्योतिष में न्याय के देवता माने जाते हैं। उनकी आरती गाने से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। यह आरती शनि के रूप, वेशभूषा और भोगों का वर्णन करती है, जो भक्तों को उनके प्रति श्रद्धा जगाती है। शनिवार को इसे विशेष रूप से गाया जाता है।
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शनि देव की विशेषताएं


शनि देव चार भुजाओं वाले हैं, नीले वस्त्र धारण करते हैं और गज पर सवार होते हैं। उनके शीश पर क्रीड़ मुकुट चमकता है और गले में मोतियों की माला शोभित रहती है। भक्त लोहे, तिल, तेल और उड़द जैसे प्रसाद चढ़ाते हैं, जो शनि को अत्यंत प्रिय हैं।

आरती के बोल


जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी। सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी।।
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी। श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुज धारी। नीलांबर धार नाथ गज की आसवारी।।
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलारी। मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी।।
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
मोदक मिष्टान पान चढ़त है सुपारी। लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी।।
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
देव दनुज ऋषि मुनि सुमरित हर नारी। विश्वनाथ धरत ध्यान शरण है तुम्हारी।।
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
जय शनि देव महाराज की।


लाभ और महत्व


इस आरती का नियमित पाठ शनि की साढ़ेसाती या दशा के प्रभाव को कम करता है। देवता, दानव, ऋषि-मुनि सभी शनि का स्मरण करते हैं। शरणागत भक्तों को शनि हमेशा रक्षा प्रदान करते हैं।