नवरात्रि में करें इन 51 शक्तिपीठों के दिव्य दर्शन और प्राप्त करे माँ दुर्गा की कृपा
नवरात्रि के समय देवी मां के मंदिरों और शक्तिपीठों में विशेष पूजा का आयोजन होता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान विष्णु ने शिव तांडव को शांत करने के लिए अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर को खंडित किया था। जिन स्थानों पर उनके अंग गिरे, वहां अद्भुत शक्तिपीठ स्थापित हुए। इन शक्तिपीठों का दर्शन करने से भक्तों को शक्ति, सुख और शांति का आशीर्वाद मिलता है।
सभी 51 शक्तिपीठों की सूची (नाम, स्थान और विशेषता)
उत्तर प्रदेश (5 शक्तिपीठ)
मणिकर्णिका घाट (वाराणसी) – यहां माता की मणिकर्णिका गिरी थी।
ललिता देवी (प्रयागराज) – यहां माता की अंगुली गिरी थी।
रामगिरी (चित्रकूट) – यहां माता का दायां स्तन गिरा था।
उमा शक्तिपीठ (वृंदावन) – यहां माता के बाल और चूड़ामणि गिरे थे।
देवी पाटन (बलरामपुर) – यहां माता का बायां कंधा गिरा था।
हिमाचल प्रदेश और उत्तर भारत (3 शक्तिपीठ)
नैना देवी (बिलासपुर, हिमाचल) – यहां माता की आंख गिरी थी।
ज्वाला जी (कांगड़ा, हिमाचल) – यहां माता की जीभ गिरी थी।
महामाया (अमरनाथ, कश्मीर) – यहां माता का गला गिरा था।
मध्य प्रदेश (2 शक्तिपीठ)
हरसिद्धि (उज्जैन) – यहां माता की कोहनी गिरी थी।
शोणदेव नर्मता (अमरकंटक) – यहां माता का नितंब गिरा था।
पंजाब और हरियाणा (3 शक्तिपीठ)
त्रिपुरमालिनी (जालंधर, पंजाब) – यहां माता का स्तन गिरा था।
माता सावित्री (कुरुक्षेत्र, हरियाणा) – यहां माता की एड़ी गिरी थी।
भद्रकाली देवीकूप (कुरुक्षेत्र, हरियाणा) – यहां माता का टखना गिरा था।
महाराष्ट्र (1 शक्तिपीठ)
भ्रामरी शक्तिपीठ (नासिक) – यहां माता की ठोड़ी गिरी थी।
राजस्थान (2 शक्तिपीठ)
मणिबंध शक्तिपीठ (पुष्कर, अजमेर) – यहां माता की पहुंचियां गिरी थीं।
अंबिका शक्तिपीठ (बिराट, राजस्थान) – यहां माता की पैर की उंगलियां गिरी थीं।
गुजरात (2 शक्तिपीठ)
अंबाजी मंदिर (गुजरात) – यहां माता का हृदय गिरा था।
चंद्रभागा शक्तिपीठ (जूनागढ़) – यहां माता का आमाशय गिरा था।
पश्चिम बंगाल (13 शक्तिपीठ)
देवी कपालिनी का मंदिर (तामलुक, मेदिनीपुर) – माता की एड़ी गिरी थी।
देवी कुमारी शक्तिपीठ (हुगली) – माता का कंधा गिरा था।
माता विमला का शक्तिपीठ (मुर्शीदाबाद) – माता का मुकुट गिरा था।
भ्रामरी देवी (जलपाईगुड़ी) – माता का पैर गिरा था।
बहुला देवी (केतुग्राम, वर्धमान) – माता का हाथ गिरा था।
मंगल चंद्रिका (उज्जनि, वर्धमान) – माता की कलाई गिरी थी।
महिषमर्दिनी (वक्रेश्वर) – माता का भ्रूमध्य गिरा था।
नलहाटी (बीरभूम) – माता की पैर की हड्डी गिरी थी।
फुल्लारा देवी (अट्टहास) – माता के होंठ गिरे थे।
नंदीपुर शक्तिपीठ – माता का हार गिरा था।
युगाधा (क्षीरग्राम, वर्धमान) – माता का अंगूठा गिरा था।
कलिका देवी शक्तिपीठ (कोलकाता) – माता का पैर का अंगूठा गिरा था।
कांची देवगर्भ (कांची, बंगाल) – माता की अस्थि गिरी थी।
दक्षिण भारत (7 शक्तिपीठ)
भद्रकाली (तमिलनाडु) – माता की पीठ गिरी थी।
शुचि शक्तिपीठ (कन्याकुमारी, तमिलनाडु) – माता की ऊपरी दाढ़ गिरी थी।
विमला देवी (पुरी, उड़ीसा) – माता की नाभि गिरी थी।
सर्वशैल रामहेंद्री (आंध्र प्रदेश) – माता के गाल गिरे थे।
श्रीशैलम शक्तिपीठ (आंध्र प्रदेश) – माता की पायल गिरी थी।
कर्नाट शक्तिपीठ (कर्नाटक) – माता के दोनों कान गिरे थे।
कामाख्या (असम, गुवाहाटी) – माता की योनि गिरी थी।
विदेशों में शक्तिपीठ (13 शक्तिपीठ)
चट्टल भवानी (चिट्टागोंग, बांग्लादेश) – माता की भुजा गिरी थी।
सुगंधा शक्तिपीठ (शिकारपुर, बांग्लादेश) – माता की नासिका गिरी थी।
जयंती शक्तिपीठ (सिलहट, बांग्लादेश) – माता की जांघ गिरी थी।
श्रीशैल महालक्ष्मी (सिलहट, बांग्लादेश) – माता का गला गिरा था।
यशोरेश्वरी (खुलना, बांग्लादेश) – माता की हथेली गिरी थी।
इन्द्राक्षी (जाफना, श्रीलंका) – माता की पायल गिरी थी।
गुहेश्वरी (नेपाल, काठमांडू) – माता के दोनों घुटने गिरे थे।
आद्या शक्तिपीठ (नेपाल, गंडक) – माता का गाल गिरा था।
दंतकाली (नेपाल, बिजयपुर) – माता के दांत गिरे थे।
मनसा शक्तिपीठ (तिब्बत, मानसरोवर) – माता की हथेली गिरी थी।
मिथिला शक्तिपीठ (भारत-नेपाल सीमा) – माता का कंधा गिरा था।
हिंगुला शक्तिपीठ (पाकिस्तान, बलूचिस्तान) – माता का सिर गिरा था।
पशुपतिनाथ के पास शक्तिपीठ (नेपाल) – माता का अंग विशेष गिरा था।
शारदीय नवरात्रि में इन 51 शक्तिपीठों के दर्शन का महत्व अद्भुत है। मान्यता है कि मां दुर्गा के इन पवित्र स्थलों से भक्तों को मनोबल, शांति और दिव्य ऊर्जा प्राप्त होती है।
सभी 51 शक्तिपीठों की सूची (नाम, स्थान और विशेषता)
उत्तर प्रदेश (5 शक्तिपीठ)मणिकर्णिका घाट (वाराणसी) – यहां माता की मणिकर्णिका गिरी थी।
ललिता देवी (प्रयागराज) – यहां माता की अंगुली गिरी थी।
रामगिरी (चित्रकूट) – यहां माता का दायां स्तन गिरा था।
उमा शक्तिपीठ (वृंदावन) – यहां माता के बाल और चूड़ामणि गिरे थे।
देवी पाटन (बलरामपुर) – यहां माता का बायां कंधा गिरा था।
हिमाचल प्रदेश और उत्तर भारत (3 शक्तिपीठ)
नैना देवी (बिलासपुर, हिमाचल) – यहां माता की आंख गिरी थी।
ज्वाला जी (कांगड़ा, हिमाचल) – यहां माता की जीभ गिरी थी।
महामाया (अमरनाथ, कश्मीर) – यहां माता का गला गिरा था।
मध्य प्रदेश (2 शक्तिपीठ)
हरसिद्धि (उज्जैन) – यहां माता की कोहनी गिरी थी।
शोणदेव नर्मता (अमरकंटक) – यहां माता का नितंब गिरा था।
पंजाब और हरियाणा (3 शक्तिपीठ)
त्रिपुरमालिनी (जालंधर, पंजाब) – यहां माता का स्तन गिरा था।
माता सावित्री (कुरुक्षेत्र, हरियाणा) – यहां माता की एड़ी गिरी थी।
भद्रकाली देवीकूप (कुरुक्षेत्र, हरियाणा) – यहां माता का टखना गिरा था।
महाराष्ट्र (1 शक्तिपीठ)
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भ्रामरी शक्तिपीठ (नासिक) – यहां माता की ठोड़ी गिरी थी।
राजस्थान (2 शक्तिपीठ)
मणिबंध शक्तिपीठ (पुष्कर, अजमेर) – यहां माता की पहुंचियां गिरी थीं।
अंबिका शक्तिपीठ (बिराट, राजस्थान) – यहां माता की पैर की उंगलियां गिरी थीं।
गुजरात (2 शक्तिपीठ)
अंबाजी मंदिर (गुजरात) – यहां माता का हृदय गिरा था।
चंद्रभागा शक्तिपीठ (जूनागढ़) – यहां माता का आमाशय गिरा था।
पश्चिम बंगाल (13 शक्तिपीठ)
देवी कपालिनी का मंदिर (तामलुक, मेदिनीपुर) – माता की एड़ी गिरी थी।
देवी कुमारी शक्तिपीठ (हुगली) – माता का कंधा गिरा था।
माता विमला का शक्तिपीठ (मुर्शीदाबाद) – माता का मुकुट गिरा था।
भ्रामरी देवी (जलपाईगुड़ी) – माता का पैर गिरा था।
बहुला देवी (केतुग्राम, वर्धमान) – माता का हाथ गिरा था।
मंगल चंद्रिका (उज्जनि, वर्धमान) – माता की कलाई गिरी थी।
महिषमर्दिनी (वक्रेश्वर) – माता का भ्रूमध्य गिरा था।
नलहाटी (बीरभूम) – माता की पैर की हड्डी गिरी थी।
फुल्लारा देवी (अट्टहास) – माता के होंठ गिरे थे।
नंदीपुर शक्तिपीठ – माता का हार गिरा था।
युगाधा (क्षीरग्राम, वर्धमान) – माता का अंगूठा गिरा था।
कलिका देवी शक्तिपीठ (कोलकाता) – माता का पैर का अंगूठा गिरा था।
कांची देवगर्भ (कांची, बंगाल) – माता की अस्थि गिरी थी।
दक्षिण भारत (7 शक्तिपीठ)
भद्रकाली (तमिलनाडु) – माता की पीठ गिरी थी।
शुचि शक्तिपीठ (कन्याकुमारी, तमिलनाडु) – माता की ऊपरी दाढ़ गिरी थी।
विमला देवी (पुरी, उड़ीसा) – माता की नाभि गिरी थी।
सर्वशैल रामहेंद्री (आंध्र प्रदेश) – माता के गाल गिरे थे।
श्रीशैलम शक्तिपीठ (आंध्र प्रदेश) – माता की पायल गिरी थी।
कर्नाट शक्तिपीठ (कर्नाटक) – माता के दोनों कान गिरे थे।
कामाख्या (असम, गुवाहाटी) – माता की योनि गिरी थी।
विदेशों में शक्तिपीठ (13 शक्तिपीठ)
चट्टल भवानी (चिट्टागोंग, बांग्लादेश) – माता की भुजा गिरी थी।
सुगंधा शक्तिपीठ (शिकारपुर, बांग्लादेश) – माता की नासिका गिरी थी।
जयंती शक्तिपीठ (सिलहट, बांग्लादेश) – माता की जांघ गिरी थी।
श्रीशैल महालक्ष्मी (सिलहट, बांग्लादेश) – माता का गला गिरा था।
यशोरेश्वरी (खुलना, बांग्लादेश) – माता की हथेली गिरी थी।
इन्द्राक्षी (जाफना, श्रीलंका) – माता की पायल गिरी थी।
गुहेश्वरी (नेपाल, काठमांडू) – माता के दोनों घुटने गिरे थे।
आद्या शक्तिपीठ (नेपाल, गंडक) – माता का गाल गिरा था।
दंतकाली (नेपाल, बिजयपुर) – माता के दांत गिरे थे।
मनसा शक्तिपीठ (तिब्बत, मानसरोवर) – माता की हथेली गिरी थी।
मिथिला शक्तिपीठ (भारत-नेपाल सीमा) – माता का कंधा गिरा था।
हिंगुला शक्तिपीठ (पाकिस्तान, बलूचिस्तान) – माता का सिर गिरा था।
पशुपतिनाथ के पास शक्तिपीठ (नेपाल) – माता का अंग विशेष गिरा था।
शारदीय नवरात्रि में इन 51 शक्तिपीठों के दर्शन का महत्व अद्भुत है। मान्यता है कि मां दुर्गा के इन पवित्र स्थलों से भक्तों को मनोबल, शांति और दिव्य ऊर्जा प्राप्त होती है।