संतान प्राप्ति की हर बाधा दूर करेगा यह गोपाल अष्टकम स्तोत्र
Share this article:
भगवान कृष्ण को समर्पित इस स्तोत्र को 'श्रीगोपालाष्टक' भी कहा जाता है। यह उन भक्तों के लिए एक शक्तिशाली प्रार्थना है जो संतान सुख की कामना करते हैं। इस स्तोत्र में भगवान कृष्ण के मनमोहक और कल्याणकारी स्वरूपों का वर्णन है, जो भक्तों के दुखों को हरने और उन्हें सुख प्रदान करने की क्षमता रखते हैं। गर्भवती महिलाएं भी इसका पाठ कर सकती हैं ताकि उनके गर्भ में पल रहे शिशु को सुरक्षा और स्वास्थ्य मिले।
संतान गोपाल स्तोत्र: संतान सुख और कल्याण के लिए एक शक्तिशाली मंत्र
संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले भक्तों के लिए 'संतान गोपाल स्तोत्र' एक विशेष और प्रभावी प्रार्थना है। भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित इस स्तोत्र को 'श्रीगोपालाष्टक' के नाम से भी जाना जाता है। इसका नियमित पाठ न केवल संतान प्राप्ति की मनोकामना पूरी करने में सहायक होता है, बल्कि गर्भवती महिलाओं के लिए भी यह बेहद कल्याणकारी माना गया है। यह स्तोत्र भक्तों के दुखों को हरकर उनके जीवन में आनंद और शांति लाता है।
इस स्तोत्र में भगवान कृष्ण के विभिन्न रूपों का मनमोहक वर्णन किया गया है, जैसे- उनके चंद्रमा के समान मुख, मधुर मुस्कान, मनमोहक बांसुरी की धुन और भक्तों के प्रति उनका प्रेमपूर्ण स्वभाव।
श्रीगोपालाष्टक ( Santan Gopal Stotra Lyrics in Hindi)
भज श्रीगोपालं दीनदयालं, वचनरसालं तापहरम् ।
विहरत स्वच्छन्दं आनन्दकन्दं, श्रीव्रजचन्दं ब्रह्मपरम ।।
पूरणशशिवदनं, शोभासदनं, जित-छबिमदनं रूपवरम् ।
हलधरवरवीरं श्यामशरीरं, गुणगम्भीरं धीरधरम् ।।
आपके राजत बनमाला, रूपविशाला, चाल मराला सुरतहरम् ।
कुण्डलधृतकरणं, गिरिवरधरणं, निज-जन शरणं कृपाकरम् ।
गोपिन कृतअंगं, ललित-त्रिभंगं, लज्जित अनंगं निरखि परम्।।
जलधरवरश्यामं, पूरणकामं, अति सुखधामं दुःखहरम्।
वृन्दावन-क्रीड़ित असुरन-पीड़ित, ब्रजतिय-व्रीड़ित रसिकवरम् ।
नूपुरध्वनिचरणं मुनिमनहरणं, तारणं-तरणं तुष्टतरम्।।
राधा-उपहार, रूप-अपारं, नीरविहारं चीरहरम् ।
कुञ्चित वरकेशं मुकुटविशेष, गोपसुवेषं, निगमवरम् ।
कोमल अतिचरणं, वेदविवरणं, जगदुद्धरणं मृदुलतरम् ।।
अकलन-मुखराजत मन्मथलाजत, किंकणीबाजत मधुरस्वरम् ।
वंशीकृतनादं, हरतविषादं, युगवरपादं तिमिरहरम् ।
भक्तन-आधीनं चरित-नवीनं, परम प्रवीनं प्रेम-परम् ।।
अतिनृत्यप्रवीरे धीरसमीरे, यमुनातीरे रासकरम् ।
कलगान अनूपं श्यामस्वरूपं, त्रिभुवनभूपं मोदभरम् ।
राधागुणगायक ब्रजसुखदायक, सुरवरनायक बेणुधरम्।।
सुन्दर मृदुहासं विपिन-विलासं कुञ्जनिवासं केलिकरम् ।
युवतीदृग-अञ्जन जनमनरञ्जन, केशीभञ्जन भारहरम् ।
भूषण निज-भवनं गजगति गमनं, कालियदमनं नृत्यकरम्।।
गोरजमुखशोभित सुरनरलोभित, मन्मथक्षोभित दृश्यपरम्।
गोपनसहभुञ्ज विपिननिकुञ्ज, वत्सनपुञ्ज दुहिणहरम् ।।
यह छवि-तारायण लखि 'नारायण' भये परायण अखिल नरम्।
भज श्रीगोपालं दीनदयालं, वचनरसालं तापहरम् ।।
क्यों करें इस स्तोत्र का पाठ?
यह स्तोत्र केवल एक प्रार्थना नहीं, बल्कि एक विश्वास है जो निराशा को आशा में बदल सकता है। जो दंपत्ति संतान की कामना करते हैं, उन्हें इसे नियमित रूप से पढ़ना चाहिए। इसके अलावा, गर्भवती महिलाएं भी इसका पाठ कर सकती हैं ताकि उनका शिशु स्वस्थ और सुरक्षित रहे। स्तोत्र का हर पद भगवान के गुणों और शक्तियों का बखान करता है, जो भक्तों के जीवन से सभी कष्टों को दूर करने में सक्षम हैं।
संतान गोपाल स्तोत्र: संतान सुख और कल्याण के लिए एक शक्तिशाली मंत्र
संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले भक्तों के लिए 'संतान गोपाल स्तोत्र' एक विशेष और प्रभावी प्रार्थना है। भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित इस स्तोत्र को 'श्रीगोपालाष्टक' के नाम से भी जाना जाता है। इसका नियमित पाठ न केवल संतान प्राप्ति की मनोकामना पूरी करने में सहायक होता है, बल्कि गर्भवती महिलाओं के लिए भी यह बेहद कल्याणकारी माना गया है। यह स्तोत्र भक्तों के दुखों को हरकर उनके जीवन में आनंद और शांति लाता है।
गोपाल अष्टकम: भगवान कृष्ण का मनमोहक वर्णन
इस स्तोत्र में भगवान कृष्ण के विभिन्न रूपों का मनमोहक वर्णन किया गया है, जैसे- उनके चंद्रमा के समान मुख, मधुर मुस्कान, मनमोहक बांसुरी की धुन और भक्तों के प्रति उनका प्रेमपूर्ण स्वभाव।
श्रीगोपालाष्टक ( Santan Gopal Stotra Lyrics in Hindi)
भज श्रीगोपालं दीनदयालं, वचनरसालं तापहरम् ।
विहरत स्वच्छन्दं आनन्दकन्दं, श्रीव्रजचन्दं ब्रह्मपरम ।।
पूरणशशिवदनं, शोभासदनं, जित-छबिमदनं रूपवरम् ।
हलधरवरवीरं श्यामशरीरं, गुणगम्भीरं धीरधरम् ।।
आपके राजत बनमाला, रूपविशाला, चाल मराला सुरतहरम् ।
कुण्डलधृतकरणं, गिरिवरधरणं, निज-जन शरणं कृपाकरम् ।
गोपिन कृतअंगं, ललित-त्रिभंगं, लज्जित अनंगं निरखि परम्।।
जलधरवरश्यामं, पूरणकामं, अति सुखधामं दुःखहरम्।
वृन्दावन-क्रीड़ित असुरन-पीड़ित, ब्रजतिय-व्रीड़ित रसिकवरम् ।
नूपुरध्वनिचरणं मुनिमनहरणं, तारणं-तरणं तुष्टतरम्।।
राधा-उपहार, रूप-अपारं, नीरविहारं चीरहरम् ।
कुञ्चित वरकेशं मुकुटविशेष, गोपसुवेषं, निगमवरम् ।
कोमल अतिचरणं, वेदविवरणं, जगदुद्धरणं मृदुलतरम् ।।
अकलन-मुखराजत मन्मथलाजत, किंकणीबाजत मधुरस्वरम् ।
वंशीकृतनादं, हरतविषादं, युगवरपादं तिमिरहरम् ।
भक्तन-आधीनं चरित-नवीनं, परम प्रवीनं प्रेम-परम् ।।
अतिनृत्यप्रवीरे धीरसमीरे, यमुनातीरे रासकरम् ।
कलगान अनूपं श्यामस्वरूपं, त्रिभुवनभूपं मोदभरम् ।
राधागुणगायक ब्रजसुखदायक, सुरवरनायक बेणुधरम्।।
सुन्दर मृदुहासं विपिन-विलासं कुञ्जनिवासं केलिकरम् ।
युवतीदृग-अञ्जन जनमनरञ्जन, केशीभञ्जन भारहरम् ।
भूषण निज-भवनं गजगति गमनं, कालियदमनं नृत्यकरम्।।
गोरजमुखशोभित सुरनरलोभित, मन्मथक्षोभित दृश्यपरम्।
गोपनसहभुञ्ज विपिननिकुञ्ज, वत्सनपुञ्ज दुहिणहरम् ।।
यह छवि-तारायण लखि 'नारायण' भये परायण अखिल नरम्।
भज श्रीगोपालं दीनदयालं, वचनरसालं तापहरम् ।।
क्यों करें इस स्तोत्र का पाठ?
यह स्तोत्र केवल एक प्रार्थना नहीं, बल्कि एक विश्वास है जो निराशा को आशा में बदल सकता है। जो दंपत्ति संतान की कामना करते हैं, उन्हें इसे नियमित रूप से पढ़ना चाहिए। इसके अलावा, गर्भवती महिलाएं भी इसका पाठ कर सकती हैं ताकि उनका शिशु स्वस्थ और सुरक्षित रहे। स्तोत्र का हर पद भगवान के गुणों और शक्तियों का बखान करता है, जो भक्तों के जीवन से सभी कष्टों को दूर करने में सक्षम हैं।
Next Story