सूर्य देव आराधना: सूर्याष्टकम से जीवन में सुख-शांति

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हिंदू धर्म में सूर्य देव को आदि देव माना जाता है, जिनकी पूजा से जीवन में ऊर्जा, स्वास्थ्य और सफलता का संचार होता है। सूर्याष्टकम इसी आराधना का एक महत्वपूर्ण माध्यम है, जो भगवान सूर्य के विभिन्न रूपों और गुणों का गुणगान करता है। यह स्तोत्र भक्तों को सूर्य की कृपा प्राप्त करने में सहायक होता है, जिससे न केवल आध्यात्मिक उन्नति होती है बल्कि दैनिक जीवन की चुनौतियां भी कम होती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इसका पाठ सूर्य को प्रसन्न करता है और भक्तों के कष्टों को हर लेता है।


सूर्याष्टकम का पूरा पाठ


सूर्याष्टकम का पाठ संस्कृत में निम्नलिखित है, जो भगवान सूर्य को नमस्कार के साथ समर्पित है। इसे शुद्ध उच्चारण के साथ पढ़ना चाहिए:

।।सूर्याष्टकम्।।


आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर।

दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोSस्तुते।।


सप्ताश्वरथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्मजम्।

श्वेतपद्मधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।।

लोहितं रथमारूढं सर्वलोकपितामहम्।

महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।।


त्रैगुण्यं च महाशूरं ब्रह्मविष्णुमहेश्वरम्।

महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।।

बृंहितं तेज:पु़ञ्जं च वायुमाकाशमेव च।

प्रभुं च सर्वलोकानां तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।।

बन्धूकपुष्पसंकाशं हारकुण्डलभूषितम्।

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एकचक्रधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।।

तं सूर्यं जगत्कर्तारं महातेज:प्रदीपनम्।

महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।।

तं सूर्यं जगतां नाथं ज्ञानविज्ञानमोक्षदम्।

महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।।


इति श्रीशिवप्रोक्तं सूर्याष्टकं सम्पूर्णम्।।

सूर्याष्टकम पाठ के प्रमुख लाभ

सूर्याष्टकम का नियमित जाप सूर्य देव को प्रसन्न करने का सरल तरीका है, जो भक्तों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है। सबसे पहले, यह ग्रह पीड़ा का नाश करता है, जिससे ज्योतिषीय दोषों से उत्पन्न परेशानियां समाप्त हो जाती हैं। यदि कोई व्यक्ति अपत्यहीन है, तो इस स्तोत्र के निरंतर पाठ से संतान सुख की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, गरीबी की स्थिति में यह धनवान बनाने में सहायक सिद्ध होता है, जिससे आर्थिक स्थिरता आती है। सरकारी नौकरी की तलाश करने वालों के लिए यह विशेष रूप से उपयोगी है, क्योंकि पाठ से कार्यक्षेत्र में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं। रविवार को इसका जाप करते समय मांस, मदिरा और मधु से परहेज रखना चाहिए, साथ ही तेल का भी त्याग करना लाभदायक है। ऐसा करने से रोग, दुख और दरिद्रता से मुक्ति मिलती है तथा सूर्य लोक की प्राप्ति संभव हो जाती है। उल्लंघन करने पर सात जन्मों तक रोग और जन्म-जन्मांतर दरिद्रता का भय रहता है। कुल मिलाकर, यह स्तोत्र स्वास्थ्य, समृद्धि और मोक्ष प्रदान करने वाला एक शक्तिशाली साधन है।

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