देवउठनी का सबसे लोकप्रिय भजन: उठो देव बैठो देव आरती हिंदी लिरिक्स
हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी का विशेष स्थान है। यह पर्व कार्तिक शुक्ल एकादशी को मनाया जाता है, जब भगवान विष्णु चार महीने की योग निद्रा के बाद जागते हैं। इस दिन "उठो देव बैठो देव" भजन गाकर देवताओं का आह्वान किया जाता है। यह भक्ति भरा गीत घर में सकारात्मक ऊर्जा लाता है और मांगलिक कार्यों जैसे विवाह और गृह प्रवेश की शुरुआत का संकेत देता है। इसे गाने से परिवार में एकता और समृद्धि बढ़ती है।
यह भजन भगवान विष्णु के प्रति भक्ति का प्रतीक है। इसे गाने से घर में धन की कमी नहीं होती और सुख-शांति बनी रहती है। यह गीत परिवार के लिए मंगल कामना करता है, जैसे पुत्र प्राप्ति, अच्छी बहुएं और समृद्धि। देवउठनी एकादशी पर यह भजन गाना शुभ कार्यों की शुरुआत का हिस्सा है। यह भक्ति और उत्साह का माहौल बनाता है।
यहां भजन की सभी पंक्तियां दी गई हैं। इसे शाम को पूजा के समय गाएं।
उठो देव बैठो देव - पाटकली चटकाओ देव
आषाढ़ में सोए देव - कार्तिक में जागे देव
कोरा कलशा मीठा पानी - उठो देव पियो पानी
हाथ पैर फटकारी देव - आंगुलिया चटकाओ देव
कुवारी के ब्याह कराओ देव-ब्याह के गौने कराओ
तुम पर फूल चढ़ाए देव-घीका दीया जलाये देव
आओ देव पधारो देव-तुमको हम मनाएं देव
चूल्हा पीछे पांच पछीटे सासू जी बलदाऊ जी धारे रे बेटा
ओने कोने झांझ मंजीरा - सहोदर किशन जी तुम्हारे वीरा
ओने कोने रखे अनार ये है किशन जी तुम्हारे व्यार
ओने कोने लटकी चाबी सहोदरा ये है तुम्हारी भाभी
जितनी खूंटी टांगो सूट - उतने इस घर जन्मे पूत
जितनी इस घर सीक सलाई-उतनी इस घर बहुएं आईं
जितनी इस घर ईंट और रोडे उतने इस घर हाथी-घोड़े
गन्ने का भोग लगाओ देव सिंघाड़े का भोग लगाओ देव
बेर का भोग लगाओ देव गाजर का भोग लगाओ देव
गाजर का भोग लगाओं देव
उठो देव उठो
गाने की सरल विधि
शाम के समय पूजा स्थल को साफ करें। घी का दीपक जलाएं और तुलसी माता या विष्णु जी के सामने खड़े होकर भजन गाएं। इसे परिवार के साथ मधुर स्वर में गाएं। पंक्तियों को धीरे-धीरे दोहराएं और अंत में प्रार्थना करें। इससे भजन का पूरा फल मिलता है।
भजन का महत्व
यह भजन भगवान विष्णु के प्रति भक्ति का प्रतीक है। इसे गाने से घर में धन की कमी नहीं होती और सुख-शांति बनी रहती है। यह गीत परिवार के लिए मंगल कामना करता है, जैसे पुत्र प्राप्ति, अच्छी बहुएं और समृद्धि। देवउठनी एकादशी पर यह भजन गाना शुभ कार्यों की शुरुआत का हिस्सा है। यह भक्ति और उत्साह का माहौल बनाता है।
उठो देव बैठो देव भजन: पूरी पंक्तियां
यहां भजन की सभी पंक्तियां दी गई हैं। इसे शाम को पूजा के समय गाएं।
उठो देव बैठो देव - पाटकली चटकाओ देव
आषाढ़ में सोए देव - कार्तिक में जागे देव
कोरा कलशा मीठा पानी - उठो देव पियो पानी
हाथ पैर फटकारी देव - आंगुलिया चटकाओ देव
कुवारी के ब्याह कराओ देव-ब्याह के गौने कराओ
तुम पर फूल चढ़ाए देव-घीका दीया जलाये देव
आओ देव पधारो देव-तुमको हम मनाएं देव
चूल्हा पीछे पांच पछीटे सासू जी बलदाऊ जी धारे रे बेटा
ओने कोने झांझ मंजीरा - सहोदर किशन जी तुम्हारे वीरा
ओने कोने रखे अनार ये है किशन जी तुम्हारे व्यार
ओने कोने लटकी चाबी सहोदरा ये है तुम्हारी भाभी
जितनी खूंटी टांगो सूट - उतने इस घर जन्मे पूत
जितनी इस घर सीक सलाई-उतनी इस घर बहुएं आईं
जितनी इस घर ईंट और रोडे उतने इस घर हाथी-घोड़े
गन्ने का भोग लगाओ देव सिंघाड़े का भोग लगाओ देव
बेर का भोग लगाओ देव गाजर का भोग लगाओ देव
गाजर का भोग लगाओं देव
उठो देव उठो
गाने की सरल विधि
शाम के समय पूजा स्थल को साफ करें। घी का दीपक जलाएं और तुलसी माता या विष्णु जी के सामने खड़े होकर भजन गाएं। इसे परिवार के साथ मधुर स्वर में गाएं। पंक्तियों को धीरे-धीरे दोहराएं और अंत में प्रार्थना करें। इससे भजन का पूरा फल मिलता है।
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