यमुना माता की आरती: भक्ति का अमृत जल
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हिंदू धर्म में नदियां देवी स्वरूप मानी जाती हैं, और उनमें यमुना माता का स्थान विशेष है। सूर्य देव की कन्या और यमराज की बहन के रूप में जानी जाने वाली यमुना नदी भगवान कृष्ण के जीवन से गहराई से जुड़ी हुई है। उनकी आरती 'ओम जय यमुना माता' भक्तों को दैनिक साधना के लिए प्रेरित करती है। लेख में यह भी कहा गया है, "यमुना माता की उपासना करने से व्यक्ति भय और चिंता मुक्त होता है।" इस भजन के माध्यम से हम यमुना के पावन जल की शक्ति को आत्मसात कर सकते हैं, जो कलियुग में भी अटल बनी हुई है।
यमुना माता का दिव्य स्वरूप
यमुना माता को यमी के नाम से भी पुकारा जाता है, जो न केवल एक नदी हैं बल्कि भक्तों की रक्षा करने वाली मां हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, उनका जल अगम और निर्मल है, जो आने वाले हर व्यक्ति का उद्धार करता है। यह आरती हमें याद दिलाती है कि यमुना के जल में स्नान करने से फल प्राप्ति होती है और जीवन के सुख-दुख का संतुलन बना रहता है। भगवान कृष्ण ने भी उनके जल का सेवन कर कंस का संहार किया था, जो उनकी महानता का प्रमाण है।
आरती का पाठ: ओम जय यमुना माता
आरती का जाप सुबह-शाम करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। यह भजन न केवल भक्ति जगाता है बल्कि यम के भय से मुक्ति दिलाता है। नीचे पूरा लिरिक्स दिया गया है, जिसका नियमित पाठ हृदय को शुद्ध करता है:
ओम जय यमुना माता, हरि जय यमुना माता ।
जो नहावे फल पावे सुख दुःख की दाता ।।
ओम जय यमुना माता…
पावन श्रीयमुना जल अगम बहै धारा ।
जो जन शरण में आया कर दिया निस्तारा ।।
ओम जय यमुना माता…
जो जन प्रातः ही उठकर नित्य स्नान करे ।
यम के त्रास न पावे जो नित्य ध्यान करे ।।
ओम जय यमुना माता…
कलिकाल में महिमा तुम्हारी अटल रही ।
तुम्हारा बड़ा महातम चारो वेद कही ।।
ओम जय यमुना माता…
आन तुम्हारे माता प्रभु अवतार लियो ।
नित्य निर्मल जल पीकर कंस को मार दियो ।।
ओम जय यमुना माता…
नमो मात भय हरणी शुभ मंगल करणी ।
मन बेचैन भया हैं तुम बिन वैतरणी ।।
ओम जय यमुना माता…
इस आरती का नियमित जाप व्यक्ति को आंतरिक शक्ति प्रदान करता है। प्रातःकालीन स्नान और ध्यान से यम भय समाप्त होता है, तथा जीवन में मंगल की कामना पूर्ण होती है। वेदों में वर्णित उनकी महिमा हमें सिखाती है कि यमुना माता शरणागत का उद्धार करती हैं। भक्तों के लिए यह भजन वैतरणी पार करने का साधन बन जाता है, जो मन की व्याकुलता को शांत करता है।
यमुना माता का दिव्य स्वरूप
यमुना माता को यमी के नाम से भी पुकारा जाता है, जो न केवल एक नदी हैं बल्कि भक्तों की रक्षा करने वाली मां हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, उनका जल अगम और निर्मल है, जो आने वाले हर व्यक्ति का उद्धार करता है। यह आरती हमें याद दिलाती है कि यमुना के जल में स्नान करने से फल प्राप्ति होती है और जीवन के सुख-दुख का संतुलन बना रहता है। भगवान कृष्ण ने भी उनके जल का सेवन कर कंस का संहार किया था, जो उनकी महानता का प्रमाण है।
आरती का पाठ: ओम जय यमुना माता
आरती का जाप सुबह-शाम करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। यह भजन न केवल भक्ति जगाता है बल्कि यम के भय से मुक्ति दिलाता है। नीचे पूरा लिरिक्स दिया गया है, जिसका नियमित पाठ हृदय को शुद्ध करता है:
ओम जय यमुना माता, हरि जय यमुना माता ।
जो नहावे फल पावे सुख दुःख की दाता ।।
ओम जय यमुना माता…
पावन श्रीयमुना जल अगम बहै धारा ।
जो जन शरण में आया कर दिया निस्तारा ।।
ओम जय यमुना माता…
जो जन प्रातः ही उठकर नित्य स्नान करे ।
यम के त्रास न पावे जो नित्य ध्यान करे ।।
ओम जय यमुना माता…
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कलिकाल में महिमा तुम्हारी अटल रही ।
तुम्हारा बड़ा महातम चारो वेद कही ।।
ओम जय यमुना माता…
आन तुम्हारे माता प्रभु अवतार लियो ।
नित्य निर्मल जल पीकर कंस को मार दियो ।।
ओम जय यमुना माता…
नमो मात भय हरणी शुभ मंगल करणी ।
मन बेचैन भया हैं तुम बिन वैतरणी ।।
ओम जय यमुना माता…
आरती के आध्यात्मिक लाभ
इस आरती का नियमित जाप व्यक्ति को आंतरिक शक्ति प्रदान करता है। प्रातःकालीन स्नान और ध्यान से यम भय समाप्त होता है, तथा जीवन में मंगल की कामना पूर्ण होती है। वेदों में वर्णित उनकी महिमा हमें सिखाती है कि यमुना माता शरणागत का उद्धार करती हैं। भक्तों के लिए यह भजन वैतरणी पार करने का साधन बन जाता है, जो मन की व्याकुलता को शांत करता है।