क्या आप जानते हैं सड़कों पर बनी सफेद लाइनों का असली मतलब?
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जब भी आप सड़क पर सफर करते हैं तो आपने देखा होगा कि वहां अलग-अलग तरह की सफेद लाइनें बनी होती हैं। कुछ सीधी और लगातार होती हैं, कुछ बीच-बीच में टूटी हुई, तो कहीं तीर के निशान या धारीदार पट्टियां दिखती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इनका मतलब क्या होता है? ये सिर्फ सजावट नहीं बल्कि ट्रैफिक नियमों और सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी हैं। आइए जानते हैं इन सफेद लाइनों का मतलब।
ब्रोकन व्हाइट लाइन ( Broken White Line )
यह लाइन सड़क के बीच में बनी होती है और इसमें छोटे-छोटे गैप होते हैं। इसका मतलब है कि आप जरूरत पड़ने पर इसे पार कर सकते हैं, लेकिन तभी जब सामने से कोई वाहन न आ रहा हो। आमतौर पर ये लाइनें उन जगहों पर बनाई जाती हैं जहां ट्रैफिक कम और गति धीमी होती है।
सॉलिड व्हाइट लाइन ( Solid White Line )
ये लाइन बिना किसी गैप के बनी होती है। इसका मतलब साफ है कि इस लाइन को पार नहीं करना चाहिए। यह लाइन खासकर उन जगहों पर होती है जहां लेन बदलना खतरनाक हो सकता है, जैसे कि मोड़, ब्रिज या एक्सीडेंट ज़ोन।
डबल व्हाइट लाइन ( Double White Line )
जब सड़क पर दो समानांतर सफेद लाइनें बनी होती हैं, तो इसका संकेत है कि यहां लेन बदलना सख्त मना है। ये मार्किंग हाईवे या भीड़भाड़ वाली जगहों पर लगाई जाती है, जहां नियम तोड़ना भारी खतरा साबित हो सकता है।
व्हाइट एरो मार्किंग (White Arrow Marking)
सड़क पर बने सफेद तीर गाड़ियों की दिशा बताते हैं। सीधा तीर मतलब गाड़ी को आगे बढ़ना है और मुड़ने वाले तीर का मतलब है कि आपको उसी दिशा में मुड़ना होगा। ये मार्किंग ट्रैफिक को व्यवस्थित करने के लिए होती है।
जेब्रा क्रॉसिंग ( Zebra Crossing )
सड़क पर बनी सफेद धारियों वाली पट्टियां जेब्रा क्रॉसिंग कहलाती हैं। यह पैदल यात्रियों की सुरक्षा के लिए होती है। ड्राइवर को यहां गाड़ी रोककर पैदल यात्रियों को पहले जाने देना चाहिए।
क्यों जरूरी हैं ये सफेद लाइनें?
सड़कों पर बनी सफेद लाइने सिर्फ पेंट की पट्टियां नहीं हैं, बल्कि ये ट्रैफिक नियमों की नींव हैं। अगर हर ड्राइवर और पैदल यात्री इनका सही मतलब समझकर फॉलो करें, तो सड़कें ज्यादा सुरक्षित और हादसे कम हो सकते हैं।
ब्रोकन व्हाइट लाइन ( Broken White Line )
यह लाइन सड़क के बीच में बनी होती है और इसमें छोटे-छोटे गैप होते हैं। इसका मतलब है कि आप जरूरत पड़ने पर इसे पार कर सकते हैं, लेकिन तभी जब सामने से कोई वाहन न आ रहा हो। आमतौर पर ये लाइनें उन जगहों पर बनाई जाती हैं जहां ट्रैफिक कम और गति धीमी होती है।
सॉलिड व्हाइट लाइन ( Solid White Line )
ये लाइन बिना किसी गैप के बनी होती है। इसका मतलब साफ है कि इस लाइन को पार नहीं करना चाहिए। यह लाइन खासकर उन जगहों पर होती है जहां लेन बदलना खतरनाक हो सकता है, जैसे कि मोड़, ब्रिज या एक्सीडेंट ज़ोन।
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डबल व्हाइट लाइन ( Double White Line )
जब सड़क पर दो समानांतर सफेद लाइनें बनी होती हैं, तो इसका संकेत है कि यहां लेन बदलना सख्त मना है। ये मार्किंग हाईवे या भीड़भाड़ वाली जगहों पर लगाई जाती है, जहां नियम तोड़ना भारी खतरा साबित हो सकता है।
व्हाइट एरो मार्किंग (White Arrow Marking)
सड़क पर बने सफेद तीर गाड़ियों की दिशा बताते हैं। सीधा तीर मतलब गाड़ी को आगे बढ़ना है और मुड़ने वाले तीर का मतलब है कि आपको उसी दिशा में मुड़ना होगा। ये मार्किंग ट्रैफिक को व्यवस्थित करने के लिए होती है।
जेब्रा क्रॉसिंग ( Zebra Crossing )
सड़क पर बनी सफेद धारियों वाली पट्टियां जेब्रा क्रॉसिंग कहलाती हैं। यह पैदल यात्रियों की सुरक्षा के लिए होती है। ड्राइवर को यहां गाड़ी रोककर पैदल यात्रियों को पहले जाने देना चाहिए।
क्यों जरूरी हैं ये सफेद लाइनें?
- ट्रैफिक अनुशासन बनाए रखने के लिए – ये लाइनें गाड़ियों को उनकी लेन में चलने के लिए निर्देश देती हैं।
- ट्रैफिक फ्लो सही रखने के लिए – इनसे गाड़ियां व्यवस्थित चलती हैं और जाम की समस्या कम होती है।
- पैदल यात्रियों की सुरक्षा के लिए – जेब्रा क्रॉसिंग जैसी मार्किंग पैदल यात्रियों को सुरक्षित सड़क पार करने का मौका देती है।
सड़कों पर बनी सफेद लाइने सिर्फ पेंट की पट्टियां नहीं हैं, बल्कि ये ट्रैफिक नियमों की नींव हैं। अगर हर ड्राइवर और पैदल यात्री इनका सही मतलब समझकर फॉलो करें, तो सड़कें ज्यादा सुरक्षित और हादसे कम हो सकते हैं।