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लोकसभा चुनाव 2024: बिहार की तीन महिलाएं जो अचानक से उतर आयी हैं चुनावी मैदान में

SEETU TEWARY अर्चना रविदास (बाएं से पहले), अनीता देवी महतो (बीच में) और विजयलक्ष्मी कुशवाहा

लोकसभा चुनाव ने बिहार की तीन महिलाओं को अचानक सुर्ख़ियों में ला दिया है.

इन तीन महिलाओं के बारे में एक महीने पहले तक शायद ही किसी को अंदाज़ा था कि वे चुनाव मैदान में दिखाई देंगी.

लेकिन हक़ीक़त यही है कि ये तीनों महिलाएं अब चुनाव मैदान में हैं.

जमुई लोकसभा क्षेत्र की राष्ट्रीय जनता दल उम्मीदवार अर्चना रविदास, मुंगेर लोकसभा क्षेत्र की राष्ट्रीय जनता दल उम्मीदवार अनीता देवी महतो और सिवान से जनता दल (यू) उम्मीदवार विजयलक्ष्मी कुशवाहा मज़बूती से चुनाव लड़ रही हैं.

अर्चना रविदास मुंगेर में सक्रिय राजद नेता अविनाश कुमार विद्यार्थी उर्फ मुकेश यादव की पत्नी हैं जबकि अनीता देवी महतो, बाहुबली अशोक महतो की और विजयलक्ष्मी कुशवाहा जेडीयू विधायक रहे रमेश कुशवाहा की पत्नी हैं. ऐसे में माना जा सकता है कि ये तीनों अपने पति की वजह से चुनाव मैदान में हैं.

जमुई से राजद उम्मीदवार अर्चना रविदास Seetu Tewary अर्चना रविदास की सीट जमुई में पहले चरण में ही 19 अप्रैल को वोटिंग हो गई है

जब हम अर्चना से मिलने पहुंचे तो सुबह के 10 बजे रहे थे. हल्के गुलाबी रंग का सूट पहनी अर्चना फ़ोन पर किसी से बातचीत कर रही थीं.

अर्चना रविदास जमुई लोकसभा क्षेत्र से राजद उम्मीदवार हैं. 38 साल की अर्चना की शादी मुकेश यादव से साल 2006 में हुई थी. ये प्रेम विवाह था.

मुकेश यादव ने साल 2020 का विधानसभा चुनाव राजद के टिकट पर लड़ा था. अर्चना की सास रंजू देवी भी मुंगेर ज़िला परिषद की चेयरमैन साल 2011 से 2016 के बीच रही हैं.

जब मैं अर्चना रविदास से मिलने पहुंची तो उनके पास इक्के दुक्के ही समर्थक थे. जिनकी बातचीत में भीड़ ना इकट्ठा होने का मलाल रह रहकर उभर रहा था. अर्चना जल्दबाज़ी में थीं. उनको तेजस्वी यादव के साथ जमुई लोकसभा क्षेत्र में होने वाली कुछ चुनावी सभाओं में शामिल होना था.

अर्चना पोस्टग्रैजुएट हैं. वो फ़ेसबुक रील्स बनाने के लिए मशहूर हैं और इसी कारण कई बार वो विवादों में भी रही हैं.

अर्चना पहली बार चुनाव लड़ रही हैं. उनको अचानक टिकट कैसे मिल गया, इस सवाल के जवाब में वो कहती हैं, "हम बहुत दिनों से जमुई में समाजसेवा कर रहे है. नेताओं की हम पर नज़र पड़ी, वो हमारे काम से प्रभावित हुए तो उन्होंने टिकट दिया. बाक़ी टिकट मिलने में निश्चित रूप से मेरे पति का योगदान है. उन्हीं से प्रेरित होकर हमने समाजसेवा करना शुरू किया था."

राजद की सदस्यता के सवाल पर अर्चना बीबीसी से कहती हैं, "हम दोनों पति पत्नी राजद के सिपाही हैं. हमारे पति ने बहुत पहले पार्टी की सदस्यता दिलवा दी थी."

हालांकि जब यही सवाल पार्टी प्रवक्ता चितरंजन गगन से पूछा गया तो उन्होंने कहा, "तकरीबन छह माह पहले जब पार्टी की महिला विंग का विस्तार हुआ, उस वक्त अर्चना रविदास ने सदस्यता ली थी."

माना जा रहा है कि राष्ट्रीय जनता दल अपने वोट बैंक का विस्तार करने के लिए रविदासी समुदाय की महिला को उम्मीदवार बनाया है. हालांकि पार्टी की ओर से लगातार ये कहा जा रहा है कि वह महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है.

राष्ट्रीय जनता दल बिहार में 23 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और उसने छह महिलाओं को चुनाव मैदान में उतारा है. अर्चना रविदास के पति मुंगेर में सक्रिय हैं लेकिन उन्हें टिकट उनके अपने ज़िले में दिया गया है.

'बेटी बनाम जीजा' की लड़ाई Seetu Tewary अरुण भारती लोकजनशक्ति (चिराग पासवान) के उम्मीदवार हैं

जमुई लोकसभा सीट को स्थानीय मीडिया में बेटी (अर्चना रविदास) बनाम जीजा (अरुण भारती) के तौर पर प्रोजेक्ट कर रही है. अरुण भारती, लोकजनशक्ति (चिराग पासवान) के उम्मीदवार हैं.

अरुण भारती, चिराग पासवान की बहन निशा कुमारी के पति हैं. चिराग पासवान वर्तमान में जमुई से सांसद है. हालांकि अर्चना इसे स्थानीय बनाम बाहरी के तौर पर देखती हैं.

वो कहती हैं, "मीडिया के लोगों ने ये बेटी बनाम जीजा बना दिया है. जमुई के जीजा तो वो तब होते जब उनकी पत्नी यहां की होती. मैं जमुई की बेटी हूं और स्थानीय हूं. वो (अरुण भारती) तो बाहरी हैं. आज होटल में रह रहे है और कल कहां जाएंगे, किसी को उनका पता ठिकाना मालूम नहीं. लेकिन मैं तो यहीं की हूं और मेरे सारे रिश्तेदार यहीं रहते हैं."

लेकिन आप भी तो यहां नहीं रहतीं? इस सवाल पर अर्चना कहती हैं, "मैं यहां रहती नहीं हूं लेकिन मेरा ससुराल मुंगेर है. मुंगेर यहां से कितनी दूर है. हमारा आना जाना लगा रहेगा."

वहीं, बीबीसी से बातचीत में अरुण भारती कहते हैं, "अर्चना रविदास पर मेरी कोई टिप्पणी ठीक नहीं. लेकिन राजनीति में योग्य लोगों को आना चाहिए. और मेरी पढ़ाई लिखाई के हिसाब से मैं राजनीति करने योग्य हूं. बाक़ी जमुई के लिए चिराग जी ने बहुत काम किया है, मेरा काम उनके किए काम को ही गति देना होगा."

हालांकि अर्चना रविदास "इस बार बाहरी नहीं, लोकल चुनें" के नारे के साथ कैंपेन कर रही है, लेकिन मतदाताओं में इसको लेकर मिलाजुला रुख है.

अमारी गांव के शिवेंद्र तांती कहते हैं, "हम लोग सोचते हैं कि बाहरी आदमी को हटाओ, घर का आदमी होना चाहिए. लोकल आदमी (सांसद) रहेगा तो कभी भी भेंट हो सकती है."

वहीं बैंकर सत्येन्द्र कुमार कहते हैं, "हमारे लिए तो दोनों बाहरी है. अर्चना रविदास खुद को जमुई का समाजसेवी बता रही हैं, लेकिन हमने तो उनको चुनाव से पहले नहीं देखा था. बाक़ी वोट हम ऊपर वाले को देखकर ही देंगे."

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  • मुंगेर से राजद उम्मीदवार अनीता देवी Seetu Tewary अनीता देवी महतो

    जमुई से सटे मुंगेर लोकसभा क्षेत्र में चौथे चरण यानी 13 मई को चुनाव होना है. अनीता देवी महतो मुंगेर लोकसभा क्षेत्र से राजद उम्मीदवार हैं.

    अनीता देवी महतो का नाम पहली बार मार्च 2024 में सुर्खियों में आया था, जब उन्होंने 62 साल के अशोक महतो से शादी की थी.

    अनीता, अपने पति से उम्र में काफ़ी छोटी हैं. अशोक महतो बिहार के बाहुबली नेता माने जाते हैं और नवादा जेल ब्रेक कांड में 17 साल की सज़ा काट चुके हैं.

    अशोक महतो पर ही वेब सिरीज 'खाकी द बिहार चैप्टर' बनी थी.

    अशोक महतो से शादी के बाद ही अनीता देवी महतो ने राजद की सदस्यता ली और उन्हें तत्काल मुंगेर से टिकट मिल भी गया.

    गंभीर मुकदमों में सज़ा होने के कारण अशोक महतो ख़ुद चुनाव नहीं लड़ सकते. इसलिए माना जा रहा है कि पार्टी ने उनकी जगह उनकी पत्नी को टिकट दिया है.

    टिकट मिलने के बाद से ही अनीता रोज़ाना सुबह 10 बजे से ही चुनाव प्रचार के लिए निकल जाती हैं.

    उनके काफिले में कुछ नौजवान लड़के और कुछ उम्रदराज पुरुष हैं जो इस बात का ध्यान दे रहे है कि 'नई कैंडीडेट' आचार संहिता का कोई उल्लंघन ना कर दें.

    मैं जब अनीता देवी महतो से मिली तो दोपहर के खाने का वक्त हो चुका था.

    वो मुंगेर के नौवागढ़ी के एक घर में खाना खाने के लिए रुकीं. पीले रंग की सिल्क साड़ी पहने अनीता देवी महतो ने बड़ी सावधानी से सिर पर पल्लू डाल रखा है. जैसे ही वो हल्का सा भी ढलकता है अनीता उसे सजगता से संभाल लेती हैं.

    भात दाल, सलाद, आलू परवल की सब्जी, पापड़ और बैंगन का स्वाद लेते हुए वो बीच बीच में वहां आए स्थानीय पत्रकारों से बात कर रही हैं.

    उन पर आरोप लग रहे हैं कि चुनाव लड़ने की मंशा के कारण ही उन्होंने अशोक महतो से शादी की?

    इस पर जब वो नाराज़ होते हुए कहती हैं, "भावना को लेकर कोई सवाल नहीं किया जाए. लेकिन आपने सवाल किया है तो बता दूं कि ये ईश्वर के आशीर्वाद और पूरी अवाम के प्यार, साथ और सहयोग से हुआ सौभाग्यपूर्ण संयोग है. इसको राजनीतिक दृष्टिकोण से बिल्कुल नहीं देखा जाए. मेरे पति को बाहुबली कहना बिलकुल ग़लत कहा जा रहा है. ये तो कर्मयोगी, क्रांतिकारी और गरीबों के मसीहा हैं."

    लालू प्रसाद यादव से प्रभावित Seetu Tewary अनीता देवी महतो मुंगेर लोकसभा क्षेत्र से राजद उम्मीदवार हैं (तस्वीर में शहर का एक दृश्य)

    मूल रूप से लखीसराय की रहने वाली अनीता देवी महतो पेशे से फार्मसिस्ट है. वो शादी से पहले नॉर्दर्न रेलवे सेंट्रल हॉस्पिटल, नई दिल्ली में चीफ़ फार्मसिस्ट थीं.

    नौकरी से इस्तीफ़ा देकर वो चुनाव लड़ रही हैं. नौवागढ़ी के बजरंगबली नगर में जब अनीता चुनाव प्रचार के लिए पहुंचीं तो एक लकवाग्रस्त पिता की बेटी अनीता के पास पहुंची. जिसके बाद अनीता खुद मरीज के पास जाकर उन्हें एक्सरसाइज बताने लगीं.

    अनीता और उनके पति अशोक महतो मुंगेर लोकसभा क्षेत्र में अलग-अलग घूम रहे हैं.

    उनके काफ़िले में शामिल एक नौजवान बीबीसी से कहता है, "बड़ा क्षेत्र है, दोनों साथ घूमेंगे तो नहीं कवर होगा. इसलिए अलग-अलग घूम रहे हैं. बाकी हमारा कैंडीडेट अभी नया है. उसको लोगों से संपर्क बनाना सीखना होगा. दरवाजे दरवाज़े बैठना नहीं, लोगों से मिलना है वर्ना सब किया धरा बेकार जाएगा."

    मुंगेर लोकसभा सीट में मुख्य लड़ाई जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह और अनीता देवी महतो के बीच है. इस सीट को भूमिहार बहुल माना जाता है. साल 2009 में परिसीमन के बाद मुंगेर से भूमिहार जाति के उम्मीदवार ही जीतते रहे हैं.

    साल 2019 में यहां मुख्य लड़ाई ललन सिंह और कांग्रेस की नीलम देवी के बीच हुई थी. नीलम देवी, अनंत सिंह की पत्नी हैं.

    राजद से इस सीट से धानुक जाति की अनीता देवी को उतार कर प्रयोग किया है. जिस पर अनीता कहती हैं, "लालू जी का दिमाग बहुत हाई लेवल का है. मुंगेर में अब सभी जातियां जिसमें भूमिहार भी शामिल हैं, सब हमारे साथ हैं."

    इस सीट को भी राजद के अपने वोट बैंक को बढ़ाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है. मुंगेर में प्रभात खबर के ब्यूरो चीफ राणा गौरीशंकर कहते हैं, "अशोक महतो खुद कुर्मी हैं, अनिता देवी धानुक हैं. यानी राजद के अपने पारंपरिक वोट बैंक मुस्लिम यादव में कुर्मी, धानुक और कुशवाहा को जोड़ने और अपने पक्ष में लाने की कोशिश है."

    सिवान से जेडीयू उम्मीदवार विजयलक्ष्मी कुशवाहा Seetu Tewary

    मुंगेर से 300 किलोमीटर दूर सिवान के बड़हरिया के होटल रॉयल पैलेस में एनडीए की बैठक चल रही है. सिवान लोकसभा क्षेत्र में छठें चरण में यानी 25 मई को मतदान होना है. ये सीट एनडीए गठबंधन में जेडीयू के हिस्से आई है.

    जेडीयू ने यहां से अपनी पार्टी के पूर्व विधायक रहे रमेश कुशवाहा की पत्नी विजयलक्ष्मी कुशवाहा को मैदान में उतारा है.

    वहीं, राजद की तरफ से यहां अवध बिहारी चौधरी उम्मीदवार हैं. जबकि राजद नेता रहे शाहाबुद्दीन की पत्नी और तीन बार राजद के टिकट पर चुनाव लड़ चुकीं हिना शहाब यहां से निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं.

    एनडीए की इस बैठक में सिवान प्रभारी मंगल पांडेय के साथ साथ सभी घटक दलों के स्थानीय कार्यकर्ता हैं. मैंने मीडिया प्रभारी से पूछा, मैडम (विजयलक्ष्मी कुशवाहा) बोलेंगी? उनका जवाब आता है, "हां, एक मिनट बोल लेंगी."

    जब मैंने उनके पति और पूर्व विधायक रमेश कुशवाहा से बातचीत की थी तो उन्होंने फोन पर मुझसे कहा, "देखिए वो बोल नहीं पाती हैं. आपको जो पूछना है, हमसे पूछ लीजिए."

    Seetu Tewary रमेश कुशवाहा

    रमेश कुशवाहा का परिवार राजनीतिक रहा है. उनके दादा रामदयाल महतो आज़ादी के आंदोलन में गांधी जी के साथ रहे थे. वहीं, पिता सीताराम कुशवाहा सिवान में सीपीआई एमएल के संस्थापक सदस्यों में से एक थे.

    पिता के प्रभाव में रमेश कुशवाहा भी सीपीआई एमएल से जुड़े लेकिन बाद में वो राजद, जेडीयू, रालोसपा होते हुए फिर जेडीयू में शामिल हो गए. और इस बार उनकी पत्नी विजयलक्ष्मी कुशवाहा भी उनके साथ जेडीयू में शामिल हो गईं.

    ठेठ भोजपुरी बोलने वाली विजयलक्ष्मी पर उनके पति की सतर्क निगाहों को समझा जा सकता था. साफ़ है कि विजयलक्ष्मी कुशवाहा के लिए अभी सार्वजनिक जीवन के बहुत सारे चैप्टर पढ़े और सीखे जाने बाकी हैं.

    विजयलक्ष्मी बीबीसी से कहती हैं, "हम जहां भी जा रहे हैं, औरतें मेरे साथ खूब आ रही हैं. हम दोनों आदमी मिलकर राजनीति करते हैं. हमारे ससुर भी जनता की सेवा करते थे, हम भी साथ में निकले हैं जनता की सेवा करने के लिए."

    लेकिन क्या आपने राजनीति में आने और चुनाव लड़ने की कभी प्लानिंग की थी, इस सवाल पर विजयलक्ष्मी कहती हैं, "मेरे मायके में कोई राजनीति में नहीं था लेकिन ससुराल आए तो पति राजनीति में थे. फिर जो पति का डिमांड रहा, वो पूरा करना पड़ेगा. हम सब बहनों को मिलकर नरेन्द्र मोदी और नीतीश कुमार का हाथ मजबूत करना है.बाकी हमको टिकट के बारे में मालूम नहीं था. हमको बुलाकर टिकट दे दिया गया."

    रमेश कुशवाहा कहते हैं, "हमने पार्टी (जेडीयू) को पहले ही बता दिया था कि ये वक्ता नहीं है. लेकिन माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी राजनीति में ऐसी महिलाओं को मुख्यधारा में लाते रहे है. इसलिए हाईकमान से बोला गया कि विजयलक्ष्मी जी चुनाव लड़ेंगी तो हम लोगों ने भी सहमति दे दी. बाकी ये राजनीति की मोटा मोटी समझ रखती हैं क्योंकि इन्होंने मेरे राजनीतिक उतार चढ़ाव को साथ साथ झेला है. ये बहुत लच्छेदार भाषण नहीं दे सकती हैं लेकिन ज़मीनी मुद्दों की समझदारी इन्हें है. मुझे एक केस की वजह से टिकट नहीं मिल सकता."

    लेकिन क्या विजयलक्ष्मी कुशवाहा जीत जाने की स्थिति में सिवान के मुद्दे संसद में रख पाएंगी, इस सवाल पर रमेश कुशवाहा कहते हैं, "जो भी सिवान की समस्या है, ये वो संसद में उठाएंगी और अपनी भाषा में मजबूती से उठाएंगी."

    हालांकि ऐसी चर्चा भी है कि रमेश कुशवाहा पर भी कुछ मुक़दमे हैं जिनके चलते पार्टी उन्हें उम्मीदवार नहीं बना सकती थी. रमेश कुशवाहा खुद स्वीकार करते हैं कि कुछ मुक़दमों की वजह से वे टिकट के दावेदार नहीं थे.

    दिलचस्प है कि साल 2019 में जेडीयू की कविता सिंह, राजद उम्मीदवार हिना शहाब को हराकर सिवान की सांसद बनी थीं. कविता सिंह बाहुबली कहे जाने वाले नेता अजय सिंह की पत्नी हैं.

    तब अजय सिंह के आपराधिक रिकॉर्ड का हवाला देकर पार्टी ने उनके बजाय उनकी पत्नी को टिकट दिया. जेडीयू ने इस बार इन्हीं कविता सिंह का टिकट काटकर विजयलक्ष्मी कुशवाहा को अपना उम्मीदवार बनाया है.

    लेकिन लोकतांत्रिक व्यवस्था में लगातार बढ़ते इस ट्रेंड को कैसे देखा जाए?

    वरिष्ठ पत्रकार कन्हैया भेलारी कहते हैं, "चुनावी राजनीति में आप बहुत काबिल हैं, इसका कोई मतलब नहीं रहा. आपमें विनिबिलटी फैक्टर यानी जीतने की कितनी क्षमता है. ये सबसे महत्वपूर्ण है. इस विनिबिलटी फैक्टर का भी सबसे पहला पैमाना जातीय समीकरण है जिसको सभी पार्टियां फॉलो कर रही हैं."

    मुंगेर, जमुई और सिवान लोकसभा क्षेत्र में चुनावी सरगर्मियां तेज़ हैं. लेकिन ज्यादातर खासतौर पर ग्रामीण मतदाताओं को चुनाव के बारे में जानकारी नहीं है. जैसा कि गीता देवी कहती हैं, "रात दिन गेहूं काट रहे है, चुनाव के बारे में कौन जानेगा?"

    वहीं सिवान के सादिकपुर की जिलेबिया देवी कहती हैं, "वोट तो दे देते है, कुछ मिलता नहीं है. ना घर, ना द्वार, ना नौकरी. कुछ मिले तो चुनाव की खबर रखें."

    गौरतलब है कि बिहार में सिर्फ 20 फ़ीसद आबादी का शहरीकरण हुआ है, यानी 80 फ़ीसद आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है.

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