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सुस्ती, आलस और बिगड़ी नींद है बीमारियों का घर! एक्सपर्ट से जानें इसके नुकसान

व्यक्ति का रहन-सहन सेहत पर सबसे अधिक प्रभाव डालता है, इसपर कई सारी रिसर्च भी हो चुकी हैं। एक तरफ कुछ लोगों की भागदौड़ की वजह से नींद उड़ी हुई है तो दूसरी तरफ इक ऐसे भी लोग हैं जिनमें सुस्ती और आलस इतना है कि पूरा दिन सोते हुए बिता देते हैं। नींद न आने के बहुत कारणों का ज़िक्र हम पहले के लेख में कर चुके हैं पर आज यहां मनिपाल अस्पताल मिलर्स रोड में पल्मोनोलॉजी की कंसल्टेंट, डॉ.

वसुनेथरा कासरगोड से जानेंगे ज्यादा नींद आनेऔर दिनभर सुस्ती के कारणों के बारे में, उन्होंने इसके कारण और नुकसान दोनों का जिक्र किया है। 

गतिहीन जीवनशैली के कारण (Causes of Sedentary Lifestyle)

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मशीनों पर निर्भरता (Dependency on Machines)

जैसे-जैसे समाज आधुनिकता की ओर बढ़ रहा है, वैसे-वैसे मिलने वाली सहूलियतें जीवनशैली को ज्यादा गतिहीन बनाती जा रही है। तभी तो लोग मशीनों और गैजेट्स पर अधिक निर्भर भी हो रहे हैं। 

वर्क फ्रॉम होम कल्चर (Work From Home Culture) 

वहीं गतिहीन जीवनशैली का एक कारण महामारी भी है जिसने वर्क फ्रॉम होम के कल्चर को बढ़ावा दिया, इसका नतीजा यह हुआ कि घर से ऑफिस तक जाने वाले लोग जो थोड़ा बहुत एक्टिव रहते थे वो बिल्कुल कम हो गया। 

डेस्क जॉब (Desk Job) 

लंबे समय तक एक जगह बैठे रहकर काम करना भी एक शरीर के सक्रिय न रहने की बड़ी वजह है। व्यक्ति बिना ब्रेक के एक ही जगह कई घंटों तक बैठा रहता है, जिससे न सिर्फ बेली फैट जैसी समस्या सामने आती है बल्कि सुस्ती भी बढ़ती है। 

अन्य कारक (Other Factors

खराब खाने-पीने की आदतें, व्यायाम न करना, चिंता का स्तर बढ़ना आदि ये सब गतिहीन जीवनशैली में योगदान दे रहे हैं। 

गतिहीन जीवनशैली के कारण नींद के नुकसान (Side Effects Of Sleeping Due To A Sedentary Lifestyle) 

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नींद एक ऐसी अवस्था है जो शरीर और दिमाग दोनों की जरूरत है। कम से कम 7-9 घंटे की नींद सामान्य तौर पर पर्याप्त है। हालांकि, यह हर एक व्यक्ति पर निर्भर करता है। गतिहीन जीवन इनसोम्निया या नींद न आने जैसी स्थिति पैदा कर सकता है। मरीज अक्सर दिन में थकान, कार्य कुशलता में कमी, फोकस कम होना, सुस्ती, ज्यादा या कम नींद और मूड डिसऑर्डर जैसे लक्षणों की शिकायत लेकर आते हैं। 

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मोटापे और गतिहीन जीवनशैली से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण समस्या ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया (OSA) है। यह गर्दन की परिधि के आकार में बढ़ने की वजह से होता है जिसके परिणामस्वरूप ऊपरी वायुमार्ग के भीतरी व्यास के आकार में कमी देखने को मिलती है। इसके साथ ही, कई मरीज खर्राटों, दिन में ज्यादा नींद आने, सुस्ती और रातभर जागने, रात में सोते समय दम घुटने और सुबह सिर दर्द की शिकायत भी करते हैं। 

OSA इस हद तक गंभीर है कि इससे सोते समय ब्लड ऑक्सीजन सैचुरेशन में गिरावट भी देखने को मिलती है। इससे हृदय गति में भिन्नता और बीपी बढ़ने की समस्या होती है। इसके अलावा, अनियंत्रित उच्च रक्तचाप, असामान्य हृदय गति, स्ट्रोक, अनियंत्रित मधुमेह और कभी-कभी हृदय गति रुकना जैसी जटिलताओं का खतरा बढ़ता है। 

OSA का निदान नींद अध्ययन या पॉलीसोम्नोग्राफी करके किया जा सकता है। स्लीप एपनिया के लिए सोते समय निरंतर सकारात्मक वायुमार्ग दबाव (CPAP) मशीनों के रूप में उपचार की आवश्यकता होती है।

गतिहीन जीवन शैली और नींद की समस्याओं वाले ज्यादातर मरीजों को आमतौर पर नींद के पैटर्न को सामान्य करने के लिए ट्रैंक्विलाइज़र की जरूरत पड़ती है। वहीं, कुछ लोग लंबे समय तक नींद की गोलियों का सहारा लेकर इसे ठीक करने की कोशिश करते हैं। ध्यान रहे कि लंबे समय तक नींद की गोली इस्तेमाल करने की सलाह नहीं दी जाती है क्योंकि इसके अपने कुछ दुष्प्रभाव होते हैं। सबसे बेहतर तरीका तो यही है कि लोगों को इसके बारे में जागरूक किया जाना चाहिए।

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