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Kota चम्बल से चार सौ फीट दूर पाताल तक पहुंचा पानी, चिंतनीय

कोटा न्यूज़ डेस्क,  आज विश्व जल दिवस है, ऐसे में जल को लेकर चर्चा व चिंता करना लाजिमी है। हैरानी की बात हो यह है कि धरती पर 71 प्रतिशत हिस्सा पानी से ढका होने के बावजूद पूरी दुनिया में मात्र 2.5 प्रतिशत पानी ही पीने योग्य है। पीने योग्य पानी में से भी 68.7 प्रतिशत पानी ग्लेशियर व आइस कैप के रूप में मौजूद है और 30.1 प्रतिशत भूजल के रूप में उपलब्ध है।

यानी पीने योग्य पानी मात्र 1.2 प्रतिशत ही है। चिंता का विषय तो यह है कि लगातार भूजल स्तर नीचे जा रहा है। जल संरक्षण के प्रति जागरूक नहीं हुए तो आने वाले समय में मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। रिचार्ज सिस्टम लगाकर पानी का संग्रहण करें, ताकि जल स्तर को ठीक रखा जा सके। अधिक से अधिक पेड़ लगाएं। जहां हरियाली रहती है, वहां पानी भी अधिक मिलता है। गर्मी के आते ही जलाशय व अन्य जलस्रोत सूख जाते हैं। बूंद-बूंद पानी के लिए मारामारी मचती है। हैंडपम्प रीत जाते हैं। टैंकरों से जलापूर्ति करनी पड़ती है तो कई जगहों पर व्यवस्थाओं के तहत एक दिन छोड़कर दूसरे या चौथे दिन जलापूर्ति की जाती है। इन हालातों के बावजूद लोग अनावश्यक रूप से पानी की बर्बादी करने से नहीं चूकते। हालात ये हैं कि कोटा जिले में कई क्षेत्र जल के अतिदोहन श्रेणी में पहुंच गए हैं। आने वाले दिनों में हालात और विकट हो सकते हैं।

पानी के स्तर की ये है श्रेणियां

केन्द्रीय भूमि जल बोर्ड ने धरती पर उपलब्ध पानी को पहले तीन श्रेणियां यानी व्हाइट, ग्रे और डार्क जोन में बांट रखा था, लेकिन पानी का ज्यादा दोहन होने पर इन श्रेणियों को अब चार भागों में बांट दिया गया है, इसमें सुरक्षित, अर्द्ध संवेदनशील, संवेदनशील व अति दोहित क्षेत्र शामिल है। वाटर रिचार्ज का 70 प्रतिशत वाटर उपयोग करना सुरक्षित श्रेणी में आता है। इसी तरह अर्द्ध संवेदनशील में वाटर रिचार्ज का 70 से 90 प्रतिशत, संवेदनशील में 90 से 100 प्रतिशत उपयोग करना एवं अति दोहित में 100 प्रतिशत से भी ज्यादा उपयोग करना है।

ग्राउण्ड वाटर रिचार्ज कम, दोहन ज्यादा

आंकड़ों को देखें तो साल 2022-23 में राजस्थान में 467.69 एमएम बरसात हुई। ग्राउण्ड वाटर रिचार्ज 1245198.96 हैक्टामीटर हुआ और 120063.46 हैक्टामीटर नैचुरल डिस्चार्ज (पानी बह गया) हो गया। वार्षिक दोहन योग्य भूजल (संसाधन) 1125135.44 हैक्टामीटर उपलब्ध था, लेकिन कुल भूजल उपयोग 1673907.14 हैक्टामीटर का हुआ, यानी 548771.7 हैक्टामीटर जल का ज्यादा दोहन किया गया। इसमें सबसे ज्यादा दोहन कृषि क्षेत्र में हुआ।

कोटा सम्भाग की स्थिति

कोटा जिले में अर्द्ध संवेदनशील क्षेत्र में सुल्तानपुर व इटावा ब्लॉक एवं अति दोहित क्षेत्र में लाडपुरा ग्रामीण, खैराबाद, सांगोद, कोटा शहर ब्लॉक शामिल है। बूंदी जिले में जल दोहन में तालेड़ा ब्लॉक सुरक्षित श्रेणी में शामिल है। केशवरायपाटन ब्लॉक अर्द्ध संवेदनशील श्रेणी एवं बूंदी, हिण्डौली व नैनवां ब्लॉक अति दोहित श्रेणी में शामिल हैं। बारां जिले में जल दोहन के मामले में अंता ब्लॉक अर्द्ध संवेदनशील, किशनगंज व शाहाबाद संवेदनशील एवं छबड़ा, छीपाबड़ौद, अटरू व बारां अति दोहित श्रेणी में शामिल हैं। इसी तरह झालावाड़ जिले में पिड़ावा ब्लॉक सुरक्षित श्रेणी, अकलेरा व भवानीमंडी ब्लॉक संवेदनशील एवं डग, बकानी, झालरापाटन, खानपुर व मनोहरथाना ब्लॉक अतिदोहित श्रेणी में शामिल हैं।

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